बागवानी फसलों की संरक्षित खेती पर शुआट्स में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ


बागवानी फसलों की संरक्षित खेती पर शुआट्स में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ

नैनी, प्रयागराज। सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स), प्रयागराज में बुधवार को बागवानी फसलों की संरक्षित खेती, कटाई के बाद की हैंडलिंग और डिजिटल कृषि पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रारम्भ हुआ। सम्मेलन का आयोजन हार्टीकल्चर विभाग, नैनी एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट (एनएआई), शुआट्स द्वारा किया गया। यह जानकारी देते हुए आयोजन सचिव डॉ. देवी सिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य अतिथि त्रिभुवन विश्वविद्यालय, काठमांडू के डीन डॉ. किशोर चंद्र दहल थे, जिन्होंने विश्वविद्यालय सभागार में सम्मेलन का उद्घाटन किया, जिसके बाद निदेशक शोध डॉ. आलोक मिल्टन लाल के नेतृत्व में उद्घाटन प्रार्थना हुई। शुआट्स के प्रति कुलपति (पीएमडी) प्रो. (डॉ.) एंटनी जे. राज विशिष्ट अतिथि थे। फेकल्टी डीन प्रो. (डॉ.) गौतम घोष ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। निदेशक प्रसार प्रो. (डॉ.) आरिफ ए. ब्रॉडवे ने विश्वविद्यालय की प्रसार गतिविधियों को साझा किया। डीन एनएआई डॉ. बिस्वरूप मेहरा ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में एक संक्षिप्त विवरण दिया। संयुक्त कुलसचिव और संयोजक डॉ. सी. जॉन वेस्ली ने बागवानी फसलों की संरक्षित खेती के महत्व के बारे में जानकारी दी।

मुख्य अतिथि डॉ. किशोर चंद्र दहल ने पानी और पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार के लिए ड्रिप सिंचाई, फर्टिगेशन और सुपर अवशोषक के उपयोग सहित संरक्षित खेती के तहत मानकीकृत उत्पादन प्रौद्योगिकियों के बारे में तकनीकी जानकारी साझा की। तकनीकी सत्र के पहले दिन विशेषज्ञों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की जिसमें छोटी भूमि जोत किसानों की आय बढ़ाने के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु स्थानों में संरक्षित खेती के लिए ग्रीनहाउस, नेट हाउस, शेडनेट, नर्सरी, ड्रिप-सिंचाई प्रणाली जैसे बुनियादी ढांचे के डिजाइन की समीक्षा, कृषि क्षेत्र में शिक्षित युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर आदि प्रमुख थे।धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ. विजय बहादुर राजवाड़े ने किया। कार्यशाला मे शुआट्स संकाय सदस्यों, शोध छात्र-छात्राओं सहित देश-विदेश से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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