रायबरेली मे जीवन दयानी कहे जाने वाला स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर चर्चाओं में है। इन दिनों रायबरेली मे सरकारी होम्योपैथिक विभाग के एक फार्मासिस्ट के कारनामें काफी सुर्ख़ियों में है। डलमऊ के राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल में तैनात अबू तालिब पेशे से तो फार्मासिस्ट हैं। लेकिन असल दुनिया में वह एक माइंडेड बिजनेसमैन है, जों सरकारी नौकरी मे होने के बाद भी एक प्राइवेट कंपनी से लाखों महीने की कमायी कर रहे हैं। इनका नेटवर्क और कांटेक्ट देश विदेश में फैला हुआ है। जिसकी कई वीडियो सोशल प्लेटफॉर्म पर भी मौजूद है। चलिए हम बताते हैं आपको कि फार्मासिस्ट साहब को बिजनेस माइंडेड क्यों कहना पड़ा। दरअसल अबू तालिब सरकारी होम्योपैथिक अस्पताल डलमऊ में फार्मासिस्ट के पद पर तैनात है। जिसका सरकार द्वारा इन्हें वेतन भी मिलता है। इसके अलावा भी फार्मासिस्ट साहब एक प्राइवेट कंपनी वेस्टीज हेल्थ केयर में उच्च पद पर असिन हैं। इस कंपनी से फार्मेसी साहब को महीने के लाखों रुपयों का मुनाफा होता है। यहां फार्मासिस्ट साहब फार्मासिस्ट नहीं बल्कि डॉक्टर कहलाए जाते हैं और डॉ अबू तालिब सप्लीमेंट को दवा बता कर धड़ल्ले से बेचते हैं और लाखों कमाते हैं। कमाल की बात तो यह है की अस्पताल में फार्मासिस्ट और बाहर डॉ की भूमिका को अबू तालिब एक साथ निभाते है। फार्मासिस्ट साहब नें वेस्टीज हेल्थ केयर के कई मंचों पर अपनी अदाकारी के जौहर दिखाएं हैं। सरकारी नौकर होते हुए इन्होने लखनऊ, बहराइच,रुपईडीहा, गोरखपुर और नेपाल तक खुले मंच पर एक प्राइवेट कंपनी का कारोबार बढ़ाते और सप्लीमेंट्र बेचते आरहे है।खबर क्या है हम विस्तार से समझते हैं। अबू तालिब राजकीय होम्योपैथिक अस्पताल डलमऊ मे 2016 से फार्मासिस्ट के पद पर तैनात है और इसी दौरान अबू तालिब एक प्राइवेट कंपनी वेस्टीज हेल्थ केयर के भी साथ काम शुरू किया। कंपनी के प्रोडक्ट व कंपनी का बढ़ाने के लिए फार्मासिस्ट अबू तालिब को शहर के बाहर यहां तक की विदेश भी जाना पड़ता है। इस कंपनी से इनको लाखों का फायदा होता है। जोकि सरकारी नौकरी और प्राइवेट काम एक साथ नहीं किया जा सकता। इसलिए अबू तालिब ने वेस्टीज हेल्थ केयर का रजिस्ट्रेशन अपने फादर अब्दुल्लाह के नाम से किया। कंपनी से होने वाली इनकम अबू तालिब को पिता अब्दुल्ला के खाते में ही मिलती है।दोहरी जिंदगी जी कर सरकार को चूना लगानें वाले फार्मासिस्ट अबू तालिब का भांडा उसे वक्त फूट गया जब उनके धड़ल्ले से फल फूल रहे बाहरी कारोबार की खबर मीडिया तक पहुंच गई। फार्मासिस्ट अबू तालिब के कई वीडियो मीडिया के हाथ लगे जिसमें यह मंचों से वेस्टीज हेल्थ केयर का प्रचार प्रसार करते और पैसा कमाने का हुनर सीखाते दिखाई दे रहे। कई सालों से अबू तालिब अस्पताल से गायब रहकर लाखों की कमाई कर रहा है। ऐसा कैसे मुमकिन है कि विभाग को कानों कान खबर भी नहीं लगी? या विभाग की मौन स्वीकृति अबू तालिब और विभाग के उच्च अधिकारी को भी लाभ दे रही हैं.? फ़िलहाल ये पूरा मामला जिलाधिकारी हर्षिता माथुर के भी संज्ञान में पहुंचा है। जिस पर जिलाधिकारी ने कड़ा रुख अपनाते हुए होम्योपैथिक के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
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