सोनभद्र की ओबरा में अवैध खनन, नियमों को ताक पर रखकर रात-दिन का खेल बदस्तूर जारी




प्रयाग भारत


सोनभद्र। जिले की ओबरा बिल्ली के मारकुंडी खनन क्षेत्र में अवैध खनन का खेल बदस्तूर जारी है, जहां नियमों का कोई पालन नहीं हो रहा है। यहाँ दिन-रात खनन किया जा रहा है, जबकि शाम 5 बजे तक ही खनन की अनुमति है। इस अवैध खनन ने खनन क्षेत्र की सीमाओं को पार कर दिया है और मानकों का उल्लंघन हो रहा है। मारकुंडी क्षेत्र जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और पहाड़ों के लिए मशहूर है, अब पत्थरों के अवैध उत्खनन के कारण खतरे में है। अब तक जिले से चार पहाड़ गायब हो चुके हैं और एक पहाड़ का अस्तित्व भी मिटने के कगार पर है। जिला खनन विभाग, जिला प्रशासन, पुलिस और माफिया के गठजोड़ से वैध माइंस की आड़ में अवैध माइंस में खनन किया जा रहा है। वन विभाग की भूमिका भी संदिग्ध है, क्योंकि वे सुरक्षित वन क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को रोकने में कोई रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इन अवैध खननों के कारण पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है। सोनभद्र जिले में वर्तमान में 40 से 50 वैध पत्थर माइंस चल रही हैं, लेकिन 10 स्थानों पर बिना किसी रोक- टोक के पत्थर का उत्खनन हो रहा है। खनन विभाग की निष्क्रियता और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। अवैध खनन के चलते पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। जिन पहाड़ों की कटाई हो रही है, वे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है।

इस अवैध खनन में विस्फोटकों का भी अवैध कारोबार चल रहा है। पत्थर माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे बिना किसी वैध लीज के ही पहाड़ों को नष्ट कर रहे हैं। इस अवैध खनन में कुछ भ्रष्ट अधिकारी और नेता भी शामिल हैं, जो इसे बढ़ावा दे रहे है। विभागीय उदासीनता और पुलिस प्रशासन की मिलीभगत ने अवैध खनन को और भी बढ़ावा दिया है। यह अवैध खनन न केवल प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहा है बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर खतरे में डाल रहा है। अवैध खनन को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि सोनभद्र का प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सके।

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