नियम को ताक में रखकर संचालित हो रही है पत्थर की खदानें, आस- पास के रहवासियों के लिए बना परेशानी का सबब




प्रयाग भारत


सोनभद्र। डाला क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिल्ली मारकुंडी व बड़ी डाला सोनभद्र में पत्थर खदान एवं स्टोन क्रेशर संचालकों की मनमानी से आसपास के ग्रामीण रहवासी प्रदूषण व शोर से परेशान है। कई खदानों के कारण लोगों को जहाँ आम रास्ता बदलना पड़ रहा है। वहीं आने-जाने वाले राहगीरों पर गिट्टी, पत्थर के उठते पत्थरडस्ट एवं धूल से टीवी, दमा व स्वांस जैसी गंभीर बीमारियों के चपेट में आते जा रहे रहते हैं। क्रेशर खदानों के द्वारा प्रतिदिन भारी मात्रा में पत्थर निकाले जाने के चलते 60 से 70 फीट गहरी झीलनुमा खाई बन गई है। इससे कभी भी गंभीर दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। पानी बारिश के दिनों में ऐसे ही गड्ढों में डूबने से मौत की खबर सामान्यतः आती रहती है। कई बार इसका विरोध जताए जाने के बावजूद सम्बंधित अधिकारी गंभीर नहीं है। पत्थर की खदानों और आवासीय अथवा सार्वजनिक ढांचों के बीच कम से कम 200 मीटर की दूरी बनाकर रखी जानी चाहिए। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ने कहा कि जिन पत्थर की खदानों में खनन विस्फोट के जरिए नहीं होने हैं, उनके बीच की और उनके तथा आवासीय/सार्वजनिक इमारतों के बीच की दूरी कम से कम 100 मीटर होनी चाहिए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से पेश रिपोर्ट पर गौर करते हुए अधिकरण ने यह आदेश पारित किया। उसने कहा कि खदान सुरक्षा निदेशालय के खतरनाक क्षेत्र से संबंधित नियम (500 मीटर) का भी कड़ाई से पालन होना चाहिए और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम से कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। अधिकरण ने सीपीसीबी को निर्देश के अनुपालन पर निगरानी रखने का निर्देश दिया और कहा कि इस मानदंड का पूरे देश में पालन किया जाए। 

बिल्ली मारकुंडी में ग्रामीणों ने आरोप लगाया गया है कि पट्टा धारक:- सुरेश चन्द्र गिरि खनन क्षेत्र. आ.स.-7407 क विल्ली, मारकुंडी बारी डाला सोनभद्र खनन पट्टा सं.-44/पत्थर रकवा-1-87 एकड अवधि विस्तार दि.24-07-2015 से 23-07-2025 तक बिल्ली मारकुंडी पंचायत में अवैध खनन किया जा रहा है। सीपीसीबी की सिफारिश के मुताबिक जिन खदानों में विस्फोट नहीं किए जाने हैं, उनकी आवासीय, सार्वजनिक इमारतों, रहवासी क्षेत्रों, संरक्षित स्मारकों, सार्वजनिक सड़कों, रेलवे लाइनों, पुलों, बांधों, जलाशयों, नदियों, झीलों आदि से कम से कम 100 मीटर की दूरी होनी चाहिए। जहां पर खनन के लिए विस्फोट होने हैं, सीपीसीबी के मुताबिक उनके लिए न्यूनतम 200 मीटर की दूरी का पालन करना चाहिए। 60 से 70 फीट से अधिक गहराई पर खनन नहीं किया जा सकता। लेकिन बिल्ली मारकुंडी के डाला भूखंड में इसकी नियम को ताख पर रखकर जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पोकलैंड मशीनों से 60 से 70 फीट गहराई से पत्थर खनन निकाल कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यही नही खदानों को संचालित किए जाने का समय सुबह 08 बजे से शायं 05 बजे तक की निर्धारित किये जाने के बावजूद देर रात तक खदानें संचालित होतो है। जिससे आस-पास के लोग शारीरिक व मानसिक रूप से परेशान है। अधिक गहराई से खनन होने से भूखंड में पानी निकल आया है और मशीनों के खनन से भूखंड में पानी निकालने से जल अथल निचे चलीं जा रही हैं। दूसरे भूखंडों में भी मानकों की अनदेखी कर खनन करने की शिकायत एनजीटी से की गई है।

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