प्रयाग भारत
यमुनापार, प्रयागराज । खनन के मामले में माफियाओ ने सारी हदें पार कर दी। यहां कई घाटों पर खनन माफिया पनचक्की लगाकर बालू निकलवा रहे हैं। पनचक्की से बालू खनन कराने से न सिर्फ नदी का धारा पर विपरीत असर पड़ रहा, बल्कि जलीय जीव - जंतुओं के जीवन पर खतरा भी उत्पन्न हो रहा है। आरोप है
की थाना और पुलिस चौकी से साठगांठ कर माफिया नदी में मशीन लगाकर बालू खनन करा रहे है। गांव के प्रमुख सहायक नदी टोंस का उदगम मध्यप्रदेश के रीवा और सतना जिले की सीमा से होता है। उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा स्थित चाकघाट से होते हुए यह नदी नारीबारी इलाके से होते हुए खीरी, मेजा, व करछना क्षेत्र होते हुए सिरसा के पास गंगा नदी में मिलती हैं। इस नदी पर विद्युत पन बिजली परियोजना, नहर , बैराज व कई जल प्रपात भी है। नदी पर खीरी क्षेत्र के कुलमई, पिपरहटा, शाहपुर, धधुआं, पिपरांव, कोटर रेगा, पथरपुर, खरका, लोहरा, टौगा, महुली, पालपट्टी, ककराही मेजा के मई, पताई, इसौटा, कोहड़ार सुलमई बंधवा, कोना बनकटा कठौली , सहमन, कटका, टिकुरी चौकी बगहा घाटों पर दिन रात बालू का अबैध खनन हो रहा है। इस नदी पर सिर्फ एक घाट का पट्टा हुआ है
वहां भी पट्टाधारक नदी के बीच और मशीन से बालू खनन कराते पकड़ा गया, तो उनसे लेन देन कर रफा दफा कर दिया जाता है। वही गड़री, किहुंनी, बैजला, कैथवल, बहरैचा, मोजरा, महुली आदि स्थानों पर गिट्टी, मोरम, पत्थर की तोड़ाई और खुदाई का कार्य चल रहा है। लेकिन खनन विभाग कहता है कि कितने खबरे लिखो कोई फर्क नहीं पड़ता है, हम कार्यवाही के लिए तनख्वाह थोड़े ही न ले रहे है । हमे क्या जरूरत है एक्शन लेने की I इसमें कोई शक नहीं कि इस कार्य में खनन विभाग पूरी तरह लिप्त है, बालू ही नहीं, गिट्टी तोड़ने मिट्टी खुदाई कही भी कोई कार्यवाही की खबर नही आती ।
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